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उत्तराखंड के चुनावी मुकाबले में तीसरा विकल्प बनने के प्रयास में BSP, मुस्लिम कार्ड चल परंपरागत वोट बैंक साधने की कोशिश

उत्तराखंड में इस लोकसभा चुनाव में मुकाबले का तीसरा कोण बनने के प्रयासों में जुटी बसपा के लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती की मंगलौर की सभा कार्यकर्ताओं में नए जोश व उत्साह का संचार कर गई। मायावती ने बसपा के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाताओं को साधने का प्रयास किया। मुस्लिम बहुल मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में हुई सभा में उन्होंने न केवल भाजपा-कांग्रेस को निशाने पर लिया, बल्कि बसपा को अनुसूचित जाति, गरीब, मजदूर व किसानों का सच्चा हमदर्द बताया।

अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंचने का प्रयास
हल्द्वानी के बनभूलपुरा के घटनाक्रम का उल्लेख कर उन्होंने नैनीताल-ऊधम सिंह नगर के अल्पसंख्यक समुदाय तक भी अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। संयुक्त उत्तर प्रदेश के समय हरिद्वार क्षेत्र में बसपा के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को गिना कर उन्होंने स्थानीय जनता को भावनात्मक रूप से जोड़ा। लोकसभा चुनाव में बसपा ने प्रदेश की पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा ने इन चुनावों में सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से ही दांव खेला है। पार्टी ने प्रदेश की दो मैदानी सीटों हरिद्वार और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर में मुस्लिम कार्ड चला। राजनीतिक गलियारों में मंगलौर में बसपा सुप्रीमों की सभा के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। देखा जाए तो मंगलौर से बसपा विधायक सरबत करीम अंसारी के निधन के बाद से विधानसभा की यह सीट रिक्त है। ऐसे में इस सीट को वापस पाने के लिए बसपा पूरा जोर लगा रही है।
बसपा सुप्रीमो की सभा को पार्टीजनों को यहां एकजुट रखने की दिशा में उठाए जा रहे कदम के तौर पर देखा जा रहा है। विशेष रूप से अपने पारंपरिक वोट बैंक अनुसूचित जाति व मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं को बसपा अपने से छिटकने नहीं देना चाहती।
बसपा सुप्रीमो ने भी अपने संबोधन में इस बात को केंद्र में रखा। उन्होंने बनभूलपुरा प्रकरण का जिक्र करते हुए प्रदेश में मुस्लिमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया और अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यकों से आरक्षण छीने की भी बात कही। साफ है कि ऐसा कर वह इन तबकों को अपने साथ ही जोड़े रखना चाह रही हैं।

वहीं, प्रदेश सरकार पर प्रकृति से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस कारण यहां जमीनें खिसक रही हैं। इससे उन्होंने जोशीमठ आपदा प्रभावितों का दर्द कुरेद कर पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की।

 

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