सीएम धामी संभाले हैं मंत्रिमंडल का 40 प्रतिशत से अधिक भार, पंचायत चुनाव के बाद होगा विस्तार

राज्य मंत्रिमंडल का 40 प्रतिशत से अधिक भार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधे पर है। 35 विभाग उनके पास हैं। अगले विधानसभा चुनाव में दो वर्ष से कम समय शेष रह गया है। ऐसे में मंत्रिमंडल की रिक्त पांच सीट कब तक भरेंगी, इसे लेकर प्रतीक्षा समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। इसके पीछे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव और संगठन में महत्वपूर्ण पदों के साथ संतुलन साधने में मंत्रियों के रिक्त पदों की भूमिका को भी देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी से लेकर पार्टी हाईकमान, इस बारे में पत्ते भले ही नहीं खोल रहे, लेकिन पंचायत चुनाव के बाद तस्वीर जल्द साफ होती दिखाई पड़ सकती है। धामी मंत्रिमंडल के रिक्त पदों की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो चुकी है। राज्य मंत्रिमंडल की सदस्य संख्या 12 होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब मार्च, 2022 में शपथ ली थी, तब मंत्रिमडल में तीन मंत्री पद रिक्त रखे गए थे। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का निधन होने से रिक्त पदों की यह संख्या बढ़कर चार हो गई। विगत माह मार्च में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पद से त्यागपत्र देने के बाद यह संख्या बढ़कर पांच तक पहुंच गई। मुख्यमंत्री सात मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल संभाल रहे हैं। सरकार और सत्ताधारी दल को दो वर्ष से कम समय में विधानसभा चुनाव में जाना है। इससे पहले पंचायत चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले अब मतदाताओं और मतदान से जुड़ी यही सबसे बड़ी राजनीतिक इवेंट है। पंचायत चुनाव में ग्रामीण मतदाता प्रदेश का सबसे बड़ा मतदाता समूह है। ये चुनाव साबित करेंगे कि त्रिस्तरीय पंचायतों पर राजनीतिक दलों की पकड़ कितनी मजबूत है। यद्यपि, नगर निकाय चुनाव की भांति त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में भी सत्ताधारी दल को अपेक्षाकृत लाभ की स्थिति में माना जाता है। पंचायत चुनाव में ग्रामीण मतदाता प्रदेश का सबसे बड़ा मतदाता समूह है। ये चुनाव साबित करेंगे कि त्रिस्तरीय पंचायतों पर राजनीतिक दलों की पकड़ कितनी मजबूत है। यद्यपि, नगर निकाय चुनाव की भांति त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में भी सत्ताधारी दल को अपेक्षाकृत लाभ की स्थिति में माना जाता है।
इस चुनाव के मौके पर पार्टी के भीतर संतुलन और सामंजस्य को बढ़ाने के लिए मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरने का दांव खेला जाएगा या नहींं, इसे लेकर भाजपा हाईकमान और मुख्यमंत्री पर नजरें टिकी हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। पार्टी के भीतर एक वर्ग प्रदेश संगठन के अध्यक्ष के चुनाव और मंत्रिमंडल में रिक्त पद भरने के पीछे भी संतुलन के समीकरण को देख रहा है।