Doon Daily News

आवाज़ उत्तराखंड की

धामी कैबिनेट का फैसला, भूतापीय ऊर्जा स्थल खोजने व क्षमता विकास को तीन करोड़ तक सहायता मंजूर

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भूतापीय ऊर्जा अब प्रदेश में बिजली की बढ़ती खपत को पूरा करने में काम आएगी। प्रदेश में ऐसे 40 भूतापीय स्थल चिह्नित किए गए हैं। इन स्थलों के विकास और ऊर्जा उत्पादन के लिए आगे आने वाले विकासकर्ताओं को प्रदेश सरकार उद्योग नीति के अंतर्गत तमाम प्रकार की छूट व सुविधाएं देगी। नए भूतापीय स्थलों की खोज, वर्तमान स्थलों की क्षमता का आकलन करने के लिए विकासकर्ता को लागत का 50 प्रतिशत या तीन करोड़ तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने बुधवार को उत्तराखंड भूतापीय ऊर्जा नीति, 2025 को स्वीकृति दी। भूतापीय परियोजनाओं से कोई निश्शुल्क रायल्टी बिजली नहीं ली जाएगी।पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए नीति में इन परियोजनाओं के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
प्रदेश सरकार अपनी बिजली की निरंतर बढ़ रही मांग की पूर्ति के लिए हरित ऊर्जा के उपलब्ध विकल्पों का अधिक उपयोग करने को प्राथमिकता दे रही है। सौर ऊर्जा के बाद भूतापीय ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भूतापीय ऊर्जा नीति को हरी झंडी दिखाई गई। पंचायत चुनाव की आचार संहिता के कारण मंत्रिमंडल के निर्णयों को ब्रीफ नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार भूतापीय नीति का उद्देश्य ऐसे संसाधनों और उनकी क्षमता की पहचान करना है। इन परियोजनाओं के अन्वेषण के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के माध्यम से विद्युत उत्पादन करना है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, साथ में कृषि व्यवसायों के लिए ग्रीन हाउस हीटिंग, बागवानी उत्पादों को सुखाने, कोल्ड स्टोरेज एवं भूतापीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकेगा। प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार भूतापीय क्षेत्र मुख्य रुप से चमोली जिले के बदरीनाथ और तपोवन क्षेत्रों में हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे स्थलों की अच्छी संभावनाएं हैं। भूतापीय नीति के अनुसार पहले से चिह्नित स्थलों को नामांकन के आधार पर केंद्रीय उपक्रमों या राज्य उपक्रमों व एजेंसी को और प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से निजी विकासकर्ता को आवंटित किया जा सकेगा। यदि परियोजना के लिए केंद्र सरकार या केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) से वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं होती है तो राज्य सरकार प्रथम दो परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता देगी। शर्त यही है कि इन परियोजनाओं को राज्य सरकार के साथ एमएनआरई से अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए।प्रथम दो परियोजनाओं के अन्वेषण एवं ड्रिलिंग के लिए केंद्रीय उपक्रमों को 50 प्रतिशत और राज्य उपक्रमों अथवा एजेंसी को शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता मिलेगी। नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि इन परियोजनाओं को उद्योग की श्रेणी में माना जाएगा।
राज्य की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम नीति, 2023, मेगा औद्योगिक और निवेश नीति, 2021 और अनुकूलित प्रोत्साहन पैकेज दिशा-निर्देश, 2023 के अनुसार परियोजना विकासकर्ता लाभ पाने के हकदार होंगे। विकासकर्ताओं को समयबद्ध वैधानिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए एकल खिड़की की सुविधा दी जाएगी।
निजी भूमि के हस्तांतरण या स्वीकृति की अनुमति राजस्व विभाग के नियमों के अनुसार मिलेगी। वन अधिनियम, 1980 यथा संशोधित 2023 के प्रविधानों के अनुरूप गैर वानिकी कार्य के लिए भूमि प्रत्यावर्तन के लिए भारत सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी।इस स्वीकृति के आधार पर राज्य सरकार प्रचलित लीज नीति के अनुसार लीज या पट्टे के लिए अनुमति प्रदान करेगी।

 

Copyright Doon Daily News2023 ©Design & Develop by Manish naithani 9084358715 All rights reserved. | Newsphere by AF themes.