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नगर निकायों में अब वास्तविक जनसंख्या के आधार पर ओबीसी आरक्षण, अधिसूचना जारी

उत्तराखंड के नगर निकायों में अब वास्तविक जनसंख्या के आधार पर ओबीसी आरक्षण निर्धारित किया जाएगा। सरकार ने निकायों में ओबीसी आरक्षण की 14 प्रतिशत की सीमा हटा दी है। यानी कुछ निकायों में ओबीसी आरक्षण घटेगा, जबकि कुछ में बढ़ेगा। यद्यपि, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। सरकार ने इसके लिए निकाय अधिनियम में संशोधन के दृष्टिगत अध्यादेश को मंजूरी देते हुए इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके साथ ही अब निकाय चुनाव की राह की बड़ी बाधा दूर हो गई है। प्रमुख सचिव शहरी विकास आरके सुधांशु के अनुसार शीघ्र ही निकायों में नए सिरे से ओबीसी आरक्षण तय किया जाएगा।

सरकार ने हाल में कार्यकाल को तीन माह बढ़ाया
राज्य में नगर निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने हाल में इसे तीन माह बढ़ाया है। साथ ही अब निकाय चुनाव के कसरत तेज गई है। इसी कड़ी में निकायों में ओबीसी आरक्षण के नए सिरे से निर्धारण के लिए निकाय अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को स्वीकृति दी गई है। असल में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नगर व ग्रामीण निकायों में ओबीसी की वास्तविक संख्या में आधार पर आरक्षण तय किया जाना है।

एकल सदस्यीय समर्पित वर्मा आयोग गठित
इस क्रम में सरकार ने पूर्व में एकल सदस्यीय समर्पित वर्मा आयोग गठित किया। आयोग अब तक राज्य के 102 में 95 निकायों का सर्वे, जनसुनवाई करने के बाद आरक्षण निर्धारण के लिए रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। अभी तक निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए 14 प्रतिशत तक की सीमा निर्धारित थी। आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में निकाय अधिनियम में संशोधन होना था, लेकिन लोस चुनाव की आचार संहिता के चलते यह संभव नहीं हो पाया। अब सरकार ने आयोग की रिपोर्ट पर कदम बढ़ाते हुए अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को स्वीकृति देते हुए अधिसूचना भी जारी कर दी है।

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