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प्रदेश की अगले एक महीने में इलेक्ट्रिक वाहन नीति, कैबिनेट के लिए तैयार होगा प्रस्ताव

सरकारी विभागों से यदि जल्द सुझाव प्राप्त हो गए तो उत्तराखंड की इलेक्ट्रिक वाहन नीति अगले महीने में आ जाएगी। उद्योग विभाग ने नीति का मसौदा तैयार किया है और अब उसे विभागों की प्रतिक्रिया मिलने का इंतजार है। सेतु आयोग की पहल पर नीति के मसौदे में कुछ प्रभावी सुझाव शामिल किए गए हैं। सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी के मुताबिक, उत्तराखंड अर्थव्यवस्था और पर्यावरण की दृष्टि से ईवी नीति आवश्यक और समय के अनुकूल है। सरकार की ओर से इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

नीति में चार प्रमुख पहलू
नीति में चार प्रमुख पहलू हैं। पहला विनिर्माण से जुड़ा है। यानी इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्तराखंड में उत्पादन होगा। इसके लिए ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े उन औद्योगिक समूहों से बातचीत हो चुकी है, जो ईवी का निर्माण कर रहे हैं। इनमें टाटा और महेंद्रा उत्तराखंड में निवेश के लिए तैयार हैं। दूसरा ईवी की खरीद प्रतिबद्धता से संबंधित है। यानी राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण होने के साथ ही सरकारी क्षेत्र में इसकी खरीद को लेकर प्रतिबद्धता भी जाहिर होनी चाहिए। तीसरा पहलू राज्य में बनाए जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में नागरिकों के लिए प्रोत्साहन के प्रावधान से जुड़ा है। चौथा पहलू ईवी के लिए चार्जिंग अवस्थापना का है और जो पूरे प्रदेश में तैयार होगी।
काफी विचार-विमर्श और अध्ययन के बाद नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस बारे में ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुडे़ उद्यमियों से संवाद भी किया गया है। उनके सुझावों के साथ नीति को आकर्षक, प्रभावी और भविष्योन्मुखी बनाया गया है। अब नीति के बारे में विभागों से आंतरिक चर्चा चल रही है। सरकारी वाहनों के बेड़े में ईवी भी शामिल होंगी। इसलिए विभागों की राय इसमें काफी अहम है। हम उम्मीद कर रहे हैं विभागों से नीति के बारे में जल्द चर्चा पूरी हो जाएगी। – राजशेखर जोशी, उपाध्यक्ष, सेतु आयोग

 

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