शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हुए बाबा केदार, छह माह यहीं होगी पूजा
भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली मंगलवार को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गई। इस मौके पर पूरा क्षेत्र बाबा केदार के जयकारों से गूंज उठा। सेना की बैंड धुन, भक्तों के जयकारों और मंगल गीतों के साथ डोली मंदिर पहुंचीं। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बाबा केदार का पुष्प-अक्षत से स्वागत किया और घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। अब छह माह तक श्रद्धालु अपने आराध्य की पूजा यहीं करेंगे। मंगलवार को ब्रह्मबेला पर श्रीविश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग ने पंचांग पूजन के साथ भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली और भगवान विश्वनाथ की विशेष पूजा की। यहां गुप्तकाशी क्षेत्र के सैकड़ों भक्तों ने परिवार के साथ आराध्य के दर्शन किए। सुबह 10 बजे सेना की बैंड धुनों और भक्तों के जयकारों के बीच भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली ने ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। सेमी-भैंसारी, विद्यापीठ होते हुए बाबा केदार के डोली तलचुन्नी पहुंची। वहीं, जयवीरी में चुन्नी गांव के ग्रामीणों ने उन्हें सामूहिक अर्घ्य लगाया। बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा की और मंदिर के मुख्य पुजारी ने आरती उतारी। इसके बाद बाबा केदार की भोग मूर्तियों को डोली से उतारकर ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया। इस मौके पर पंथेर पुरोहितों ने केदारनाथ धाम से लाया गया उदक कुंड का पवित्र जल भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया। इस अवसर पर रुद्रप्रयाग विस के विधायक भरत चौधरी, राज्य मंत्री चंडी प्रसाद भट्ट, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, जिलाध्यक्ष महावीर पंवार, कुलदीप रावत, रणजीत राणा, जिला पंचायत सदस्य सविता भंडारी, शीला रावत, कुलदीप रावत, बीकेटीसी के समन्वयक आरसी तिवारी, केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी आदि मौजूद थे।
रावल ने धारण किया स्वर्ण मुकुट, शीतकालीन पूजा भी शुरू
भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होते ही केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने छह माह के लिए स्वर्ण मुकुट धारण कर लिया है। उन्होंने केदारनाथ के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग को छह माह की पूजा-अर्चना के संकल्प से भी मुक्त किया। बता दें कि केदारनाथ धाम के रावल को बोलांद केदार कहा जाता है। धाम में छह माह तक स्वर्ण मुकुट भगवान केदारनाथ धारण करते हैं और शीतकाल में छह माह रावल की ओर से स्वर्ण मुकुट धारण किया जाता है। भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान होने के साथ ही आराध्य की सांयकालीन व शयन आरती के साथ शीतकालीन पूजा भी शुरू हो गई है।