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चारधाम यात्रा मार्गों के संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन से रहेगी निगरानी, सीएम धामी ने समीक्षा बैठक में दिए निर्देश

उत्तराखंड में 30 अप्रैल से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसी कड़ी में मंगलवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में चारधाम यात्रा के दौरान यातायात प्रबंधन की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि सुरक्षित, सुगम व सुव्यवस्थित यात्रा के लिए यात्रा शुरू होने से एक सप्ताह पहले सभी व्यवस्था पूर्ण कर ली जाएं। साथ ही यात्रा मार्गों पर आपदा संभावित और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से निगरानी करने व संवेदनशील स्थलों पर सभी आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान यातायात प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस बेहतर कार्य योजना के साथ कार्य करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि पिछले साल जो समस्याएं आई थीं, उनकी इस बार पुनरावृत्ति न हो। जाम की स्थिति वाले स्थानों की रियल टाइल जानकारी इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से साझा की जानी चाहिए। इसी क्रम में पुलिस व प्रशासन के इंटरनेट मीडिया हैंडल पर यातायात व मौसम की जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे यात्रियों को पार्किंग स्थलों की जानकारी गूगल मैप से मिल जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि यात्रा मार्गों पर पार्किंग ऐसे स्थानों पर की जाए, जिनके निकट होटल, धर्मशाला, होम स्टे व अन्य मूलभूत सुविधाएं हों। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि चारधाम यात्रा के वैकल्पिक मार्गों को भी सुदृढ़ किया जाए। साथ ही अस्थायी पार्किंग विकसित करने के लिए भुगतान के आधार स्थानीय निवासियों से संपर्क करने, यात्रा मार्गों पर आवश्यकतानुसार क्रश बैरियर लगाने, वाहनों की सघन चेकिंग को अभियान चलाने, वाहनों की फिटनेस पर ध्यान देने और विभिन्न जानकारियों के लिए साइनेज की पर्याप्त व्यवस्था के निर्देश दिए। धामों में दर्शन के लिए स्लॉट मैनेजमेंट सिस्टम और बेहतर बनाने पर भी मुख्यमंत्री ने जोर दिया। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया किया कि वे पंजीकरण के बाद ही चारधाम यात्रा पर आएं। सुरक्षा व सुविधा के दृष्टिगत ही यह व्यवस्था की गई है।

उन्होंने कहा कि पंजीकरण में 60 प्रतिशत ऑनलाइन और 40 प्रतिशत आफलाइन की व्यवस्था है। उन्होंने सुव्यवस्थित यात्रा संचालन के लिए यात्रा मार्गों से जुड़े हितधारकों के साथ निरंतर समन्वय बनाने और उनके सुझावों को गंभीरता से लेने पर भी जोर दिया।

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