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उत्तराखंड में जुलाई में होंगे पंचायत चुनाव, तैयारियों में जुटी सरकार

हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर कुहासा अब छंट गया है। पंचायत चुनाव जुलाई में होंगे। हाईकोर्ट में इस आशय का शपथ पत्र देने के बाद सरकार तैयारियों में जुट गई है। इस बीच पंचायतों में ओबीसी आरक्षण का निर्धारण नए सिरे से करने के लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को राजभवन ने हरी झंडी दे दी है। पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार यादव के अनुसार पंचायतों में इसी माह ओबीसी आरक्षण तय कर इसकी अंतिम अधिसूचना जारी करने के साथ ही सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी जाएगी। हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश के साथ होते हैं। वहां पिछले चुनाव वर्ष 2022 में हुए थे। शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल नवंबर आखिर में खत्म होने के बाद जब चुनाव की स्थिति नहीं बन पाई तो इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इस बीच सरकार ने पंचायत चुनाव के दृष्टिगत पंचायतों का परिसीमन, निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण, मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण संबंधी कार्य निबटाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पंचायतों में ओबीसी (अदर बैकवर्ड क्लास) आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण होना है। इस सिलसिले में गठित एकल समर्पित आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन के दृष्टिगत अध्यादेश राजभवन भेजा था। इसे राजभवन ने मंजूरी दे दी है। इस बीच हाईकोर्ट में चल रहे पंचायत चुनाव से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान शासन ने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव जुलाई में करा दिए जाएंगे। इसी हिसाब से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार यादव के अनुसार अब इसी माह पंचायतों में ओबीसी आरक्षण का निर्धारण कर दिया जाएगा। जिला पंचायत सदस्यों के लिए शासन और क्षेत्र व ग्राम पंचायतों के लिए जिला स्तर पर यह निर्धारण होगा। पूर्व में ओबीसी आरक्षण के लिए 14 प्रतिशत की सीमा थी, जिसे अब हटा दिया गया है। साथ ही यह भी साफ किया गया है कि एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। जिन क्षेत्रों में एससी-एसटी की संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा होगी, वहां ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलेगा।

अधिसूचना पर निर्भर करेगा प्रशासक कार्यकाल
पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई व 31 मई को खत्म होना है। इससे पहले यदि पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाती है तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने की नौबत नहीं आएगी। यदि अधिसूचना जारी नहीं हुई तो कार्यकाल बढ़ाने के लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश लाया जाएगा।

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