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उत्‍तराखंड को चाहिए बूस्‍टर डोज! पहले मिले थे 85 हजार करोड़ से अधिक, अब 90 हजार करोड़ की उम्मीद

प्रति व्यक्ति आय और जीएसडीपी में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन। आर्थिकी के इन चमकदार आंकड़ों के नीचे एक ऐसा भी उत्तराखंड बसता है जो सामाजिक-आर्थिक विषमता की मार झेल रहा है। विकास की जनाकांक्षा पर पर्यावरणीय अवरोध भारी पड़ते हैं। मध्य और उच्च हिमालय में लगभग 10 जिलों को समेटे इस भू-भाग को अवस्थापना विकास के लिए अतिरिक्त सहायता की बूस्टर डोज चाहिए। इसे आधार बनाकर 20 विभागों ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष लगभग 44 हजार करोड़ की मांग रखी है।

मिली थी 85 हजार करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता
इससे पहले 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर राज्य को 85 हजार करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता मिली। ऐसे में माना जा रहा है कि वर्तमान आयोग की संस्तुतियों पर अगले पांच वर्ष के लिए मिलने वाली सहायता 90 हजार करोड़ को पार कर सकती है। 16वां वित्त आयोग के अध्यक्ष डा अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में आयोग का दल तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को नैनीताल में भ्रमण करेगा। आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2026-27 से अगले पांच वर्षों के लिए केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी और मिलने वाले केंद्रीय अनुदान का निर्धारण होना है। गत सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य का मैमोरंडम आयोग को सौंप चुके हैं।
हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून को छोड़कर शेष नौ जिले पर्वतीय हैं। पर्यटन, जलविद्युत परियोजना, वानिकी-बागवानी, प्राकृतिक-जैविक खेती की जिन संभावनाओं के बूते प्रदेश अपने पैरों पर खड़ा होने के सपने बुन रहा है, उनका गर्भस्थल मुख्य रूप से ये नौ जिले हैं। इन्हें केंद्र में रखकर विभागों ने वित्तीय सहायता के जो प्रस्ताव दिए हैं, वे लगभग 44 हजार करोड़ के हैं। इन विभागों में वन, पेयजल, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, चिकित्सा, शिक्षा, लोक निर्माण, कौशल विकास, आपदा प्रबंधन, उद्योग, समाज कल्याण, सिंचाई, शहरी विकास, नियोजन आबकारी, परिवहन व गृह सम्मिलित हैं। राज्य सरकार ने पर्यावरणीय अवरोधों के कारण वन और जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान की मांग की है। वन क्षेत्र 71 प्रतिशत से अधिक होने के कारण विकास और अवस्थापना कार्यों के लिए भूमि की कमी की समस्या है। राज्य ने अपने 45 प्रतिशत से अधिक सघन वन क्षेत्र को आधार बनाकर विशेष अनुदान की मांग उठाई है। उत्तराखंड से देश को प्रति वर्ष मिल रही तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाओं में लगभग एक लाख करोड़ की सेवाएं सघन वन क्षेत्र से मिल रही हैं। विशेष अनुदान के साथ ही राज्य ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी तय करने में फारेस्ट कवर के वेटेज को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने पर बल दिया है। यद्यपि, 16वें वित्त आयोग ने यह वेटेज पिछले आयोग की भांति 10 प्रतिशत रखा है। इससे पहले 14वें वित्त आयोग में इसे 7.5 प्रतिशत रखा गया था।

16वें वित्त आयोग से राज्य की अपेक्षाएं
राज्य विशेष अनुदान
कोस्ट डिसेबिलिटी फैक्टर सहायता
जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान
जलविद्युत परियोजनाओं पर रोक से नुकसान की भरपाई
फ्लोटिंग पोपुलेशन के लिए विशेष अनुदान
आबादी के साथ क्षेत्रफल को बनाएं मानक
उद्योगों के लिए सहायता

20 विभागों की योजनाओं को वित्तीय सहायता
15वें वित्त आयोग से इस प्रकार मिली सहायता (धनराशि-करोड़ रुपये)
केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी, 47,234
राजस्व घाटा अनुदान, 28147
स्वास्थ्य, 797
आपदा प्रबंधन, 5752
स्थानीय निकाय, 3384

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