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ईडी ने 1.10 करोड़ किए सीज; पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत समेत अधिकारियों के ठिकानों पर की थी छापेमारी

-योशिता पांडेय

जिम कार्बेट अभयारण्य की पाखरो रेंज में पेड़ कटान, अवैध निर्माण और जमीन धोखाधड़ी के मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, वन अधिकारियों व उनके करीबियों पर की गई ईडी की छापेमारी चौबीस घंटे से अधिक समय तक चली। ईडी ने उत्तराखंड समेत दिल्ली व हरियाणा में 17 जगह छापेमारी कर 1.10 करोड़ रुपये की नकदी, करीब 80 लाख रुपये का 1.30 किलोग्राम सोना व 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा सीज की। साथ ही ईडी की टीम ने कई बैंक लाकर्स, डिजिटल उपकरण सीज किए और अचल संपत्तियों के तमाम दस्तावेज बरामद करने के साथ ही उन्हें कब्जे में लिया गया।
वीरवार को ईडी ने जो अधिकृत बयान जारी किया है, उसमें मुख्य वन संरक्षक सुशांत पटनायक के नाम जिक्र नहीं है, बुधवार को ईडी ने उनके देहरादून स्थित आवास पर भी छापा मारा था। यहां करोड़ों की नकदी मिलने की बात सामने आई थी, रकम गिनने के लिए मशीनें भी मंगाई गई थी। हालांकि इस बारे में ईडी के अधिकारी अधिकृत रूप से कुछ भी नहीं कह रहे हैं। ईडी ने बुधवार सुबह भाजपा की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत (अब कांग्रेस नेता), उनके करीबियों और कुछ वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापा मारा था।

यह कार्रवाई मुख्य वन संरक्षक सुशांत पटनायक, सेवानिवृत्त डीएफओ किशन चंद के साथ ही हरक के पूर्व निजी सचिव एवं उत्तराखंड सचिवालय संघ के पूर्व महामंत्री बिरेंद्र कंडारी, भाजपा के ऊधम सिंह नगर के जिला मंत्री अमित सिंह, रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा व प्रापर्टी डीलर नरेंद्र वालिया के ठिकानों पर की गई। देर रात तक चली छापेमारी के बाद ईडी ने गुरुवार शाम को कार्रवाई का अधिकृत प्रेस बयान जारी किया। ईडी के प्रेस बयान उल्लेख किया गया कि छापे की कार्रवाई दो अलग-अलग मामलों में की गई। जिसमें पहला मामला हरक सिंह रावत के बेटे तुषित रावत के देहरादून के शंकरपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस की जमीन से जुड़ा है।
जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में ईडी ने बिरेंद्र सिंह कंडारी व अन्य पर पूर्व में दर्ज मुकदमे की एफआइआर को जांच को आधार बनाया है। जमीन की धोखाधड़ी में पूर्व मंत्री की संलिप्तता का जिक्र किया गया है। वहीं, दूसरा मामला कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में पेड़ों के अवैध कटान व अवैध निर्माण के मामले में पूर्व डीएफओ किशन चंद, तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी और अन्य पर दर्ज एफआइआर से जुड़ा है। इस प्रकरण में भी पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को घोटाले में संलिप्त बताया गया है।

हाईकोर्ट ने सेल डीड निरस्त की, फिर भी बेच दी जमीन
ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने नरेंद्र वालिया के साथ मिलकर साजिश करते हुए दो पावर आफ अटार्नी तैयार की। जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। इस जमीन को अवैध तरीके से हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह को बेचना दिखाया गया। इसी जमीन पर श्रीमती पूर्णा देवी ट्रस्ट के अंतर्गत दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस का निर्माण किया गया है।

मंत्री रहते हुए किया वित्तीय शक्तियों का दुरुपयोग
ईडी ने कार्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ कटान और अवैध निर्माण को लेकर कहा है कि सेवानिवृत्त डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा ने अन्य अधिकारियों व तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह के साथ आपराधिक षड्यंत्र किया। सभी ने मिलीभगत कर उच्च दरों पर टेंडर किए।
हरक सिंह रावत ने वन मंत्री रहते हुए अपनी वित्तीय शक्तियों का दुरुपयोग किया। दस्तावेजों के साथ भी छेड़छाड़ करते हुए टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन और कैंपा मद में प्राप्त बजट का दुरुपयोग किया। यह राशि कई करोड़ में है। साथ ही मनमानी करते हुए 163 की जगह 6000 से अधिक पेड़ काट दिए गए।
पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत उनसे जुड़े अन्य व्यक्तियों पर छापे की कार्रवाई भले ही अभी पूरी हो चुकी हो, जांच अभी भी गतिमान है। ईडी ने 17 ठिकानों पर की गई छापेमारी में जो दस्तावेज जब्त किए हैं, अब उनकी जांच की जाएगी। जांच में जी भी बातें सामने आएगी, अब उनके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 

 

 

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