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देवभूमि में कालनेमि की अब सामने आएगी पहचान, तैयार किया नया मोबाइल एप

देवभूमि उत्तराखंड में छद्म पहचान और भेष बदलकर आमजन की भावनाओं को छलने का प्रयास करने वाले कालनेमि अब पुलिस की नजरों से बच नहीं पाएंगे। यह संभव होने जा रहा है पुलिस और आइटीडीए के सहयोग से तैयार मोबाइल एप के जरिये। सत्यापन प्रक्रिया के दौरान यह एप व्यक्ति की पूरी कुंडली सामने रख देगा। इसके लिए एप से प्रदेश में आमजन को मिलने वाली सभी आनलाइन सेवाओं को जोड़ा जाएगा। इससे व्यक्ति के बारे में एकत्र डिजिटल रिकार्ड सामने आ जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसका जल्द ही लोकार्पण करेंगे। राज्य के कुछ क्षेत्रों में दिख रहे जनसांख्यिकीय बदलाव ने सरकार के कान खड़े किए हैं। इसे देखते हुए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में असली पहचान छिपा कर धर्म के नाम पर ठगी करने वाले कालनेमियों से लेकर अवैध रूप से बसे बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं की तलाश को अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री धामी कह चुके हैं कि विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भी कालनेमि अपनी पहचान छिपा कर बैठे हैं। इसके लिए पुलिस लगातार सत्यापन अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को यह प्रक्रिया और पुख्ता करने को कहा है। इस कड़ी में डीजीपी दीपम सेठ ने यह जिम्मेदारी आइजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल को सौंपी। जिन्होंने आइटीडीए के सहयोग से यह एप तैयार कराया है।

अभी सत्यापन की यह है प्रक्रिया
पुलिस द्वारा सात बिंदुओं पर जानकारी लेते हुए एक फार्म भरा जाता है। इसमें व्यक्ति का नाम पता, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, व्यवसाय आदि की जानकारी ली जाती है। लेकिन, इसे क्रास चेक करने की व्यवस्था नहीं है।

एप से ऐसे होगा सत्यापन
एप में सत्यापन के लिए 17 बिंदुओं का आनलाइन फार्म है। इसमें व्यक्ति के बिजली, पानी के कनेक्शन से लेकर उसके नाम जमीन, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व व्यवसाय आदि से संबंधित जानकारी दर्ज होगी। एप से सरकारी सेवाओं को जोड़ने के कारण यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है तो वह प्रदेश में दर्ज उसके डिजिटल रिकार्ड से सामने आएगी। इसका फायदा यह भी होगा कि दूसरे राज्यों में रहने वाले व्यक्ति यदि यहां किसी योजना का लाभ ले रहे हैं तो उसकी भी पुष्टि हो जाएगी।

आधार व सारथी पोर्टल से भी जुड़ेगा
दूसरे चरण में एप को आधार कार्ड, राजस्व रिकार्ड व वाहन और ड्राइविंग लाइसेंस के पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इसके लिए यूएआइडीआइ, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय व राजस्व विभाग को पत्र भेजे गए हैं।
पुलिस ने आइटीडीए के सहयोग से एप बनाया है। इसका अभी ट्रायल चल रहा है। इससे सत्यापन की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकेगा।- रिद्धिम अग्रवाल, आईजी कुमाऊं व नोडल अधिकारी।

 

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