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उपचुनाव 2024: कई मतदान केंद्रों पर हंगामे के बीच संपन्न हुआ मंगलौर विस उप चुनाव, डाले गए 69.74 प्रतिशत वोट

कई मतदान केंद्रों पर हंगामा एवं मारपीट के बाद मंगलौर विधानसभा का उप चुनाव संपन्न हो गया है। जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार 69.74 प्रतिशत मतदान हुआ है। देर शाम तक सभी पोलिंग पार्टियां राेशनाबाद पहुंच गई है। अब 13 जुलाई को वोटों की गिनती होगी। मंगलौर विधानसभा उपचनुाव में 132 पोलिंग बूथ की सुरक्षा के लिए तीन हजार पुलिसकर्मी तैनात थे। वहीं छह सौ से अधिक पुलिसकर्मी रिजर्व में रखे गये थे। इतनी सुरक्षा के बावजूद लिब्बहरेडी में बवाल हो गया। करीब 20 मिनट तक चले बवाल को पुलिस ने समय रहते संभाल लिया। अन्यथा बड़ा मामला हो सकता था। इस तरह के घटनाक्रम को देखते हुए डीएम और एससपी ने मंगलौर में डेरा डाल दिया।
उत्तराखंड गठन के बाद जिले में यह दूसरा उपचुनाव
उत्तराखंड गठन के बाद जिले में यह दूसरा उपचुनाव था। इससे पहले भगवानपुर विधानसभा में उपचुनाव हुआ था, लेेकिन मगलौर विधानसभा के उपचुनाव जैसी टेंशन भगवानपुर के उपचुनाव में नहीं थी। पुलिस प्रशासन को पहले ही भनक थी कि चुनाव में किसी तरह का बवाल हो सकता है। इसे लेकर ही मंगलौर विधानसभा के लिए सुरक्षा का तानाबाना बुना गया था। मंगलौर विधानसभा के उपचुनाव में 132 पोलिंग बूथ बनाये गये थे। इनकी सुरक्षा के लिए जगह जगह पर पुलिस ने बेरीकेटिग की थी जिससे की किसी तरह का बवाल होने पर भीड़ को आगे बढने से रोका जा सके। मंगलौर के 45 पोलिंग बूथ को अतिसंवदेनशील घोषित किया गया था। इनमें लिब्बरहेड़ी का बूथ संख्या 53 और 54 भी शामिल थे। इन दोनों बूथ के पास सुबह नौ बजे वोट डालने को लेकर दो पक्ष आमने सामने आ गये थे।

भारी पुलिस बल ने मौके पर जाकर मोर्चा संभाला
करीब 20 मिनट तक लाठी डंडे चले थे और पथराव भी हुआ था। जिसके बाद मौके पर ऐसी भगदड़ मची की लोग इधर उधर भगाने लगे थे। करीब 15 मिनट के भीतर ही भारी पुलिस बल ने मौके पर जाकर मोर्चा संभाल लिया था। लेकिन इस पूरे घटनाकम के बीच पुलिस की सुरक्षा की पोल खुल गई। जिस पोलिंग बूथ के पास बवाल हुआ। वहां पर सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त नहीं थे।

तमंचे से फायरिंग होने की भी चर्चा
जबकि इसे अतिसंवेदनशील पोलिंग बूथ घोषित किया गया था। तमंचे से फायरिंग होने की भी चर्चा रही। लोग आरोप भी लगाते रहे। लेकिन जिस तरह से यह बवाल हुआ। ऐसा लग रहा था कि इसकी पहले से ही तैयारी थी। इसके बाद डीएम धीराज गर्बयाल और एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने इसके बाद मंगलौर में डेरा डाल दिया। इसके बाद मंगलौर में किसी तरह की कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं हुआ।

इंटरनेट मीडिया ने बढ़ाई पुलिस की टेंशन
इंटरनेट मीडिया पर मंगलौर विधानसभा के उपचुनाव के घटनाक्रम के वीडियो और मैसेज ने पुलिस की टेंशन बढ़ाए रखी। कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने अपने फेसबुक पेज पर लिब्बहरेडी के घायलों और एसपी देहात से हो रही कांग्रेसी नेताओं की नोकझोंक के लाइन वीडियो पोस्ट किये। इसके अलावा भी उनकी तरफ से फेसबुक पेज पर माहौल बनाने का प्रयास किया गया। इंटरनेट मीडिया के जरिये कांग्रेसी नेता पुलिस को बैकफुट पर धकेलने का प्रयास करते रहे।

राजनैतिक घटनाक्रम में उलझी रही पुलिस
मंगलौर में उपचुनाव के दौरान हुए बवाल और इसके बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं के घेराव और प्रदर्शन के मामलों को लेकर पुलिस उलझी रही। पुलिस के सामने एक तो निर्विधन्न चुनाव संपन्न कराना चुनौती रहा। वहीं इन सबके बीच राजनैतिक घटनाक्रम को लेकर पुलिस दिन भर दौड़ती रही।

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