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PM मोदी ने मनाया इगास पर्व, सांसद अनिल बलूनी के आवास पर कार्यक्रम में हुए शामिल

उत्तराखंड का लोक पर्व इगास सोमवार को नई दिल्ली में भाजपा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी के आवास पर परंपरागत तरीके से धूमधाम से मनाया गया। इस लोक पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही कई विशिष्ट हस्तियां शामिल हुईं। वर्तमान में उत्तराखंड की गढ़वाल संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे अनिल बलूनी हर वर्ष इस लोक पर्व को उत्साह के साथ मनाते रहे हैं। इस वर्ष बलूनी के नई दिल्ली स्थित आवास पर इगास पर्व पर एक पारंपरिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में पीएम सहित कई नेता मौजूद रहे
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, स्वामी अवधेशानंद, बाबा रामदेव, बाबा बागेश्वर धाम, स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, प्रसून जोशी, उत्तराखंड मूल के भारत सरकार में तैनात वरिष्ठ अधिकारी और उत्तराखंड मूल के सैन्य अधिकारी उपस्थित थे। उत्तराखंड में दिवाली के दिन को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है। जबिक कुमाऊं में दीवाली से 11 दिन बाद इगास यानी बूढ़ी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं। रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है।
ये है परंपरा
इगास उत्तराखंड का एक लोक पर्व है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने की खबर इस पर्वतीय क्षेत्र में 11 दिन बाद पहुंची थी, इसलिए इस दिन को इगास पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अनेक पकवान बनाने के साथ ही शाम को भेलो खेलने की परंपरा है।
एक मान्यता यह भी
एक और मान्यता के अनुसार गढ़वाल के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी टिहरी के राजा महीपति शाह की सेना के सेनापति थे। करीब 400 साल पहले राजा ने माधो सिंह को सेना लेकर तिब्बत से युद्ध करने के लिए भेजा।
इसी बीच बग्वाल (दिवाली) का त्यौहार भी था, परंतु इस त्योहार तक कोई भी सैनिक वापस न आ सका। सबने सोचा माधो सिंह और उनके सैनिक युद्ध में शहीद हो गए, इसलिए किसी ने भी दिवाली (बग्वाल) नहीं मनाई। लेकिन दीपावली के ठीक 11वें दिन माधो सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत से दवापाघाट युद्ध जीत वापस लौट आए। इसी खुशी में दिवाली मनाई गई।

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