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नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में बनेंगे एसटीपी व एलिवेटेड रोड कारिडोर, उत्‍तराखंड कैबिनेट ने दी हरी झंडी

उत्तराखंड में जिन नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा चुके हैं, उनमें अब एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट), रोपवे टावर, मोबाइल टावर, हाइटेंशन विद्युत लाइन के लिए टावर और एलिवेटेड रोड कारीडोर के लिए नींव निर्माण से संबंधित कार्य हो सकेंगे। कैबिनेट ने सिंचाई विभाग की ओर से इन पांच कार्यों को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के अंतर्गत अनुमन्य कार्यों की सूची में रखने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। इसके साथ ही कैबिनेट ने देहरादून में आसन नदी के 53 किलोमीटर लंबे बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना जारी करने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया।

इसलिए पड़ रही थी आवश्यकता
प्रदेश में अभी तक गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, पिंडर, धौलीगंगा, टौंस, काली, शारदा, कोसी, गौला, रिस्पना समेत 15 नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा चुके हैं। इनकी कुल लंबाई 691 किलोमीटर है। अब आसन नदी की अंतिम अधिसूचना जारी होने पर नदियों की संख्या 16 और लंबाई 744 किलोमीटर हो जाएगी। नदियों के अधिसूचित बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में स्थायी निर्माण कार्य नहीं हो सकते। ऐसे में देहरादून समेत अन्य स्थानों पर नदियों के बाढ़ मैदान क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्यों को लेकर दिक्कतें आ रही थीं। इस सबको देखते हुए कैबिनेट ने अब नदियों के अधिसूचित बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में पांच निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी है।

क्या है नदी का बाढ़ मैदान परिक्षेत्र
किसी भी नदी में बाढ़ की स्थिति में उसका पानी तटों के दोनों ओर कितने क्षेत्र में फैल सकता है, उसे ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र कहा जाता है। इसे अधिसूचित करने के लिए 100 साल और 25 साल में अधिकतम बाढ़ के प्रभाव क्षेत्र का आकलन किया जाता है। इसके आधार पर ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जाते हैं। इस परिक्षेत्र में स्थायी निर्माण समेत कोई ऐसा कार्य नहीं हो सकता, जिससे नदियों के पानी का प्रवाह बाधित हो। यदि ऐसे अधिसूचित क्षेत्र में कोई कार्य बेहद आवश्यक है तो उसके लिए शासन से अनुमति लेनी आवश्यक है।

 

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