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2027 विधानसभा चुनाव में हैट-ट्रिक को भाजपा का बड़ा दांव, क्‍या फ‍िर CM Dhami पर भरोसा जताएंगे हाईकमान?

उत्तराखंड में डेढ़ वर्ष बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा हैट-ट्रिक लगा सकेगी या नहीं, सियासी गलियारों में इसे लेकर सुगबुगाहट होने लगी है। मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी के लगभग साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा उपचुनावों, नगर निकाय और पंचायत चुनाव में भाजपा ने मैदान मारा। पार्टी के कोर एजेंडे को केंद्र में रखकर कई महत्वपूर्ण निर्णय किये गये और उन्हें कानूनी जामा भी पहनाया गया। धामी पर यह पार्टी का बढ़ा हुआ भरोसा ही है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार पर सहमति बन चुकी है। इसी भरोसे के बूते भाजपा हाईकमान अगले विधानसभा चुनाव में भी धामी पर दांव खेलने को तैयार है। भाजपा ने अभी से वर्ष 2027 के लिए जमीन मजबूत करनी शुरू कर दी है। लगभग सात माह की अवधि में पहले नगर निकाय चुनाव और फिर पंचायत चुनाव में मिली सफलता ने भाजपा का हौसला बढ़ाया है। शहरी मतदाताओं के बाद ग्रामीण मतदाताओं के रूझान के दृष्टिगत इन दोनों ही चुनावों को विधानसभा चुनाव के महासमर से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा था।

11 नगर निगमों में से एक पर भी कांग्रेस काबिज नहीं
सत्ताधारी दल की पूरी तैयारी इस पर टिकी थी कि मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को कड़े मुकाबले से दूर रखा जाए। 11 नगर निगमों में से एक पर भी कांग्रेस काबिज नहीं हुई, जबकि 12 जिला पंचायत अध्यक्ष में से कांग्रेस के खाते में एक ही सीट आ सकी। भाजपा के रणनीतिकार इसे अपनी बढ़त के रूप में आंक रहे हैं। सत्ताधारी दल की इस रणनीति के केंद्र में मुख्यमंत्री धामी स्वयं रहे। इससे पहले धामी के खाते में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी पांच सीट के साथ ही पांच में से तीन विधानसभा उपचुनावों में जीत प्राप्त करने की उपलब्धियां जुड़ चुकी हैं। सरकार और संगठन में हर स्तर पर बेहतर समन्वय प्रदेश में स्थिरता की बुनियाद को मजबूती देने में असरकारी साबित हुआ है। भाजपा हाईकमान ने इसके माध्यम से बड़ा संदेश और उदाहरण सामने रखा है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर लगातार दूसरी बार महेंद्र भट्ट की ताजपोशी को भी धामी पर भरोसे के रूप में देखा गया है।
धामी ने मौके पर पहुंचकर संभाला मोर्चा
बतौर मुख्यमंत्री धामी ने हाईकमान की अपेक्षाओं को प्राथमिकता दी तो शासन-प्रबंधन के लिए सरलीकरण से समाधान को मूल मंत्र बनाया। सिलक्यारा सुरंग हादसा हो या धराली-थराली, पौड़ी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर की आपदा, धामी ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला।
समान नागरिक संहिता को कानूनी रूप देने की पहल हो या मतांतरण रोकने का कड़ा कानून, अथवा दंगाइयों से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर क्षतिपूर्ति की वसूली, धामी सरकार ने भाजपा के कोर एजेंडे को सतत ढंग से आगे बढ़ाया है। धामी ने पार्टी के पैमाने पर खरा उतरने में ताकत झोंकी तो हाईकमान ने भी उन पर वरद हस्त बनाए रखा है।

 

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