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हरदा से नहीं छूट रहा स्टिंग प्रकरण का साया, एक बार फिर सीबीआइ ने भेजा है जांच के लिए नोटिस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वर्ष 2016 में हुआ स्टिंग प्रकरण नौ वर्ष बाद भी चर्चा में बना हुआ है। उन्हें इसी प्रकरण पर एक बार फिर सीबीआइ ने 26 सितंबर को तलब किया है। माना जा रहा है कि इस दौरान सीबीआइ उनकी आवाज का नमूना लेगी। यद्यपि, हरीश रावत ने इस माह व्यस्तता का हवाला देते हुए अक्टूबर के दूसरे अथवा तीसरे सप्ताह में समय देने का अनुरोध किया है। सीबीआइ ने मामले की जांच मई 2016 में शुरू की थी। दरअसल, तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का उस समय एक स्टिंग हुआ था। इसमें वह सरकार बचाने के लिए लेन-देन की बातें करते नजर आ रहे थे। यद्यपि, उस समय हरीश रावत ने स्टिंग में उनकी बातों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की बात कही थी। मई 2016 में सरकार के बहाल होने के बाद तत्कालीन कैबिनेट ने यह निर्णय लिया था कि मामले की जांच सीबीआइ से न कराकर एसआइटी से कराई जाए, लेकिन यह केंद्र में स्वीकार नहीं हुआ। इसके बाद हरीश रावत कई बार सीबीआइ के समक्ष सुनवाई के लिए भी गए। इस मामले की सुनवाई अभी जारी है। अब एक बार फिर सीबीआइ ने इस प्रकरण में हरीश रावत को नोटिस भेजा है। इसके बाद से ही प्रदेश में राजनीति भी तेज हो गई है।
हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया में यह जानकारी साझा करते हुए कटाक्ष किया कि सीबीआइ के दोस्तों को उनकी फिर याद आई है। इससे ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और भारत सरकार में बैठे लोग अब भी मानते हैं कि वह चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि आखिर सीबीआइ किस दबाव में काम कर रही है, जो अभी तक इस मामले का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नहीं चाहती कि इस मामले का निस्तारण हो।

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