उत्तराखंड संस्कृत अकादमी परिसर में हुआ ज्योतिष एवं वास्तु सम्मेलन
नाम परिवर्तन से पहले नामांक और मूलांक में बैठा लें सामंजस्य : ज्योतिषाचार्य डा. कुमार गणेश
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, देहरादून की ओर से रानीपुर झाल स्थित अकादमी परिसर में ज्योतिष एवं वास्तु सम्मेलन का आयोजन किया गया। अकादमी के सचिव डॉ. एस. पी. खाली, अवधूत मण्डल आश्रम (हरिद्वार) के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर रूपेन्द्र प्रकाश महाराज, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव, अकादमी के शोध निदेशक गुरनानी और कार्यक्रम के संयोजक रमेश सेमवाल में कार्यक्रम में मंच की शोभा बढ़ायी। इस कार्यक्रम में देश भर से लगभग सौ से अधिक ज्योतिषियों और वास्तुविदों सम्भागिता की। सभी विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी। जयपुर से अंक ज्योतिषी डॉ. कुमार गणेश ने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अंक ज्योतिष का सामान्य परिचय देते हुए तथ्यात्मक जानकारियां दीं। उन्होंने विभिन्न उदाहरण देते हुए यह बताया कि व्यक्ति के जीवन में उसके जन्म के मूलांक और भाग्यांक के साथ-साथ नामांक, जन्म का चलित अंक मासांक और वर्षांक बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जब भी किसी व्यक्ति के नाम में संशोधन या परिवर्तन करना हो तो यह अवश्य देख लेना चाहिए कि उसमें सार्थकता व औचित्य के नियम का पूर्णतः पालन हो रहा है कि नहीं? साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि उस व्यक्ति का नाम और नामांक उसके जन्म के अंकों के साथ अधिक से अधिक सामंजस्य बिठा कर चले। सम्मेलन में डॉ. कुमार गणेश का अकादमी के सचिव डॉ. खाली और शोध निदेशक गुरुनानी ने अंगवस्त्र ओढ़ा और माल्यार्पण कर स्वागत किया। डॉक्टर कुमार गणेश को सहभागिता-स्मरण-प्रमाण-पत्र भेण्ट किया गया। डॉ. कुमार गणेश ने अकादमी अध्यक्ष डॉ. खाली और कार्यक्रम-संयोजक रमेश सेमवाल को अपनी पुस्तक ‘अंक ज्योतिषी दीपिका (प्राथमिक)’ भेण्ट की। राजस्थान से इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले डॉ. कुमार गणेश एकमात्र ज्योतिषी थे। ध्यातव्य है कि डॉ. कुमार गणेश विगत लगभग साढ़े पैंतीस वर्षों से अंक ज्योतिष के क्षेत्र में अभ्यासरत है और राजनीतिक अंक ज्योतिषी के रूप में देश के एकमात्र व्यक्ति हैं।