पंचायत चुनाव को पूरी तरह तैयार उत्तराखंड सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग तय करेगा कार्यक्रम

राज्य में ग्राम पंचायतों का कार्यभार देख रहे प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। प्रशासकों के कार्यकाल के संबंध में अभी तक कोई अध्यादेश जारी न होने के कारण संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है। वहीं, शुक्रवार को क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार पंचायत चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। गुरुवार को मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव का कार्यक्रम तय करेगा। तय कार्यक्रम के अनुसार ही पंचायत चुनाव होंगे। राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों का कार्यकाल गत वर्ष नवंबर व दिसंबर में समाप्त हो गया था। चुनाव की स्थिति न बन पाने के कारण सरकार ने इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया था। प्रशासकों का दायित्व ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्षों का सौंपा गया। पंचायत अधिनियम के अनुसार पंचायतों में छह माह तक ही प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। इस स्थिति में ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। इससे 7478 ग्राम पंचायतें प्रशासक विहीन हो गई हैं। ग्राम पंचायत एक दिन भी बिना प्रशासकों के नहीं रह सकती। ऐेसे में अब संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है।
वहीं क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल शुक्रवार 30 मई और जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल दो जून को समाप्त हो रहा है। अभी पंचायत चुनाव की स्थिति न बन पाने के कारण सरकार ने पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल एक वर्ष तक करने के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन का निर्णय लिया। इसके लिए विभाग द्वारा अध्यादेश तैयार कर बुधवार को राजभवन को भेजा गया। अभी इसे राजभवन की स्वीकृति का इंतजार है। समाचार लिखे जाने तक राजभवन से अध्यादेश को स्वीकृति नहीं मिल पाई थी।