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जैन धर्म अहिंसा का धर्म है- मुख्यमंत्री धामी, जैन समाज सम्मेलन में मदद का दिया आश्वासन

उत्तराखंड समग्र जैन समाज सम्मेलन का आयोजन श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर एवं जैन भवन में हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जैन धर्म ने अहिंसा को वीरता का धर्म बताया है। उन्होंने जैन समाज की संगठन और सामाजिक एकता की प्रशंसा की और जैन कल्याण बोर्ड के गठन के सुझाव पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि जैन समाज उत्तराखंड के विकास में सहयोग करता रहेगा। 31वें पुष्प वर्षा योग समिति के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन की शुरुआत जैन मिलन महिला एकता की महिलाओं द्वारा गीत गायन से हुई। सम्मेलन में उत्तराखंड सहित देशभर के 31 शहरों से धर्मप्रेमी अनुयायी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने आचार्य श्री 108 सौरभ सागर मुनि महाराज के जीवन को संयम, त्याग और अहिंसा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि धर्मगुरु समाज को नई राह दिखाते हैं और सत्य की दिशा में प्रेरित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार धर्मांतरण विरोधी एवं दंगा विरोधी कानून लागू कर रही है और प्रदेश में अवैध कब्जों से सरकारी भूमि को मुक्त कराया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एक जनवरी 2026 से केवल वही मदरसे मान्यता प्राप्त होंगे जो बोर्ड द्वारा संचालित होंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने आचार्य श्री 108 सौरभसागर महाराज का आशीर्वाद लिया। उपाध्याय रविंद्र मुनि, ज्योतिष दिवाकर राजेश मुनि ने कहा कि जैन समाज सदैव राष्ट्र हित, शिक्षा, संस्कृति और सद्भावना के कार्यों में अग्रणी रहा है।
बताया कि जैन समाज की जनसंख्या भले ही सीमित हो, लेकिन समाज का योगदान शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार एवं सेवा के क्षेत्र में अत्यंत प्रभावशाली रहा है। इस मौके पर राजपुर रोड विधायक खजानदास, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, पद्मश्री डा. आरके जैन, जैन समाज के अध्यक्ष सुखमाल जैन, सतीश जैन, महामंत्री लोकेश जैन, प्रवीण जैन, अमित जैन, सचिन जैन, श्रवण जैन,ओम जैन, साधुराम जैन, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुरेंद्र जैन, मीडिया कर्डिनेटर मधु जैन, विपिन जैन, राजीव जैन आदि मौजूद रहे।

आरक्षण नहीं संरक्षण चाहता है जैन समाज: सौरभसागर महाराज
आचार्य श्री 108 सौरभसागर महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नेतृत्व तनावमुक्त उत्तराखंड और समरस समाज की दिशा में अग्रसर है। कहा कि जैन समाज वर्तमान में सरकार से आरक्षण नहीं संरक्षण चाहता है। जनशक्ति के अच्छे आचार और विचार से जैन संस्कृति का निर्माण होता है। जैन समाज कभी भी लड़ाई-झगड़े में नहीं रहा। वह शांति का अनुशरण कर अन्य को भी यही आह्वान करता है। हम चाहते हैं कि कश्मीर से कन्या कुमारी तक इसी तरह नजर आए।

 

 

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